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जाति है कि जाती नहीं


जाति है कि जाती नहीं

राजस्थान के जालोर में जातिगत भेदभाव और छुआछूत की एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जहां इस बुराई ने 9 साल के एक मासूम दलित बच्चे इंद्र कुमार मेघवाल की जान ले ली है। मामला जालोर जिले के सायला उपखंड क्षेत्र के सुराणा गांव का है। यहां 9 साल के एक बच्चे ने जब स्कूल के मटके को पानी पीने के लिए छुआ, तो उसे स्कूल टीचर छैल सिंह ने इतना पीटा कि उसकी कान की नस फट गई। इसके बाद बच्चे को इलाज के लिए उदयपुर रेफर किया और फिर उदयपुर से अहमदाबाद भेजा गया। शनिवार को अहमदाबाद में शाम चार बजे के आसपास उपचार के दौरान बच्चे की मौत हो गई। 


यह कैसी आस्था ?

आजादी के 75 वर्ष बाद भी भारत के अंदर जाति पीछा नहीं छोड़ रही है। एक शिक्षक जो अपने विद्यार्थियों का भविष्य बनाता है। वह अपना कर्तव्य भूल कर जात-पात, छुआछूत और आस्था में पढ़कर अपने ही विद्यार्थी को मटके को पानी पीने के लिए छुआ तो उसे शिक्षक ने इतना पीटा कि उसकी कान की नस फट गई। और बच्चे की आंख पर भी चोट आई। उसके बाद बच्चे को इलाज के लिए उदयपुर रेफर किया और फिर उदयपुर से अहमदाबाद भेजा गया जहां शनिवार को उपचार के दौरान बच्चे की मौत हो गई। यह कैसी आस्था ? जो 

आस्था मूत्र पिला देती है! 
और पाखंड पानी नहीं पीने देता!! 
क्या गजब के संस्कार हैं इन शिक्षकों के, जरा सोचो देश के बच्चों का भविष्य क्या होगा।


मिट्टी की मटकी मेरे स्पर्श से अपवित्र हो गई.....


एक मिट्टी की मटकी, मेरे स्पर्श से अपवित्र हो गई ।

उसका पानी पीने के जुर्म में, मेरी देह भी मिट्टी हो गई ।।

मेरी मिट्टी भी उस मिट्टी में मिल जाएगी ।

जिससे फिर कोई नई मटकी बनाई जाएगी ।।

अगर हो तुम उच्च, तो कसम है तुम्हें.

कभी मिट्टी की मटकी से पानी मत पीना ।

क्योंकि मैं और मेरे जैसे कितने ही अछूत,

तुम्हारे अत्याचारों के कारण इस मिट्टी में मिले पड़े हैं ।।

और जिसमें मेरी देह मिली, उसे जमीन पर पैर रखे बगैर जीना ।

वरना तुम्हारा पैर अपवित्र हो जाएगा,

तुम इस हवा से सांसे भी मत लेना,

क्योंकि यह हवा मेरी चिता की लपटों से निकल कर आई है.

अगर इस हवा में सांस लोगे तुम्हारे फेफड़े अपवित्र हो जाएंगे । 

और इस पानी को भी मत पीना,

क्योंकि मेरी चिता से निकल रही भाप, इस पानी में मिल जाएगी ।।

अगर तुम ऐसा नहीं कर सको,

तो मान लो तुम इस प्रकृति के निर्माता के विरुद्ध हो ।

अगर मैं अशुद्ध था तो तुम भी अशुद्ध हो ।।

कैसे मेरी मुस्कुराती सूरत एक चित्र हो गई ।

एक मिट्टी की मटकी, मेरे स्पर्श से अपवित्र हो गई ।।

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5 Comments

  1. Bahut hi dukhad ghatna hai ishwar is ponne aatma ko apne charno me sthan de

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  2. yehe ghatna achchi nahi hai

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  3. Ishvar is bachche ki aatma ko shanti de

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  4. Dukhad ghatna

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