विश्व मैप पर एक बिन्दु की तरह दिखने वाला श्रीं लंका कभी पृथ्वी का एक बहुत बड़ा भू भाग था।
महा सागर की गहराई मे भारत से तीन गुना बड़े भू भाग आइस ऐज हिम युग से पहले मौजूद था।
( 1.5 to 2 million years लगभग 1500000 लाख से 2000000 लाख साल पहले )
जो की भगवान वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण मे त्रेता युग बताया जाता है और रामायण मे मौजूद 4 दंत वाले हाथिओ ( Gomphothere ) विज्ञान द्वारा आइस ऐज से पहले ही बताया गया है।
इस अदभुत खोज ने पूरे विश्व के चरमपंथीओ और तरह - तरह की विचार धारियो को सक्ते मे डाल दिया है।
क्योकि बहुत सी किताबे और अलग - अलग धर्मो के मिशनरियो द्वारा मानव की उत्पत्ति 5000 साल पहले और कुछ 8000 साल पहले बतायी गई।
चरमपंथ करोड़ो साल पहले हुए विशालतम जीव डयनोसोर को लाखो साल पहले हुआ बता कर रामायण के तथ्यों को मिथ्या साबित करने मे लगे थे।
लेकिन सागर की गहराई मे इस आधुनिक सभ्यता की खोज ने ये साबित कर दिया की पृथ्वी पर मानव जीवन त्रेता युग से भी पहले सतयुग से है।
प्रलय इस संसार मे कभी आसमान से, कभी पानी से, कभी पृथ्वी के तापमान अत्याधिक कम होने तो कभी अत्याधिक बढ़ जाने से आती रही है।
रामायण काल के बाद प्रलय हिम युग के रूप मे आयी और धीरे धीरे हिम युग अंत होना शुरू हुआ और श्री लंका का एक बहुत बड़ा हिस्सा जलगमन हो गया।
श्री लंका के इस जलगमन हुए हिस्से को तमिल लोगो द्वारा कुमारी कंधुम और विज्ञानिको द्वारा लुमेरिआ ( lumeria ) का नाम दिया गया।
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Jay Valmiki har har Valmiki
ReplyDeleteJai Valmiki har har Valmiki
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