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भारतीय नौसेना को मिला पहला एयरक्राफ्ट "स्वदेशी युद्धपोत": INS विक्रांत

भारतीय नौसेना को मिला पहला एयरक्राफ्ट "स्वदेशी युद्धपोत": INS विक्रांत


INS विक्रांत के अलावा INS विक्रमादित्य भी भारत के पास है। भारतीय नौसेना के पास अब  2 युद्धपोत है, INS विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर 2022 को INS विक्रांत नौसेना को सौंप दिया। विक्रांत के भारतीय नौसेना में शामिल होने से नौसेना की ताकत दोगुनी हो गई है। जिससे भारतीय इतिहास में शुक्रवार 2 सितंबर 2022 को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

INS Vikrant: आईएनएस विक्रांत का शुक्रवार 2 सितंबर 2022 को जलावतरण किया गया। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की घरेलू क्षमताएं हैं। भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का शुक्रवार 2 सितंबर 2022 को जलावतरण किया गया। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की घरेलू क्षमताएं हैं।


14 वर्षों की "स्वदेशी तपस्या" विक्रांत

INS विक्रांत को देश को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है, यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। आजादी के आंदोलन में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस सक्षम, समर्थ और शक्तिशाली भारत का सपना देखा था। उसकी जीती जागती तस्वीर विक्रांत है।  अगर समंदर और चुनौतियां अनंत हैं तो भारत का उत्तर है-विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय योगदान है-विक्रांत।


आईएनएस विक्रांत कैसे बना ?

भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला ( DRDL )  की भी मदद ली गई। सबसे पहली और गौर करने वाली बात यह है कि भारत में बने आईएनएस विक्रांत में इस्तेमाल सभी चीजें स्वदेशी नहीं हैं। यानी कुछ कलपुर्जे विदेशों से भी मंगाए गए हैं। हालांकि, नौसेना के मुताबिक, पूरे प्रोजेक्ट का अमेरिका, यूके, रूस, चीन और फ्रांस के बाद भारत भी अब उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिनमें स्वदेशी तकनीक से एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने की क्षमता है। INS विक्रांत की 76% चीजें भारत में बनीं हैं।


विक्रांत के निर्माण के लिए जरूरी युद्धपोत स्तर की स्टील को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया ( SAIL ) से तैयार करवाया गया। इस स्टील को तैयार करने में भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला ( DRDL ) की भी मदद ली गई। बताया गया है कि SAIL के पास अब युद्धपोत स्तर की स्टील बनाने की जो क्षमता है, वह आगे देश में काफी मदद करेगी। 


INS विक्रांत की खासियतें और विशेषताएं :-

मालूम हो कि दो फुटबॉल मैदानों के आकार के बराबर एक फ्लाइट डेक, 18 मंजिल की ऊंचाई, एक दिन में 16,000 चपाती बना सकने वाले रसोई के उपकरण, समुद्र में हर पल नजर रखने वाली प्रणाली, 2,500 किलोमीटर लंबी केबल जैसी विशेषताएं भारत के स्वदेश निर्मित पहले विमानवाहक पोत 'आईएनएस' विक्रांत को खास बनाती हैं। इस 45,000 टन वजनी युद्धपोत को जब भारतीय नौसेना में शामिल किया गया तो इसके फ्लाइट डेक पर एक उन्नत हल्का हेलीकॉप्टर ( एएलएच ), एक कामोव-31 और एक मिग-29के खड़ा था।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर 2022 को INS विक्रांत नौसेना को सौंप दिया। ये एयरक्राफ्ट कैरियर पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बना है। इसके साथ ही नौसेना के पास अब दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो गए हैं। INS विक्रांत के अलावा INS विक्रमादित्य भी भारत के पास है। INS विक्रांत के आने से हिंद महासागर में भारत की ताकत बढ़ गई है।


नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमाडे ने न्यूज एजेंसी को बताया कि INS विक्रांत के आने से हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर में शांति और स्थिरता बढ़ेगी।उन्होंने बताया कि INS विक्रांत पर एयक्राफ्ट का लैंडिंग ट्रायल नवंबर में शुरू होगा और 2023 के मध्य तक ये पूरा हो जाएगा।


पीएम मोदी ने कहा, ‘‘ विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।


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