Godfather Twitter Review: चिरंजीवी की 'गॉडफादर' को सोशल मीडिया ने बताया ब्लॉकबस्टर, कहा- ये लूसिफर से बेहतर
छोटे परदे पर अपने नियमित रियलिटी शो ‘बिग बॉस’ के अगले सीजन के साथ लौट चुके सलमान खान इस साल बड़े परदे पर भी आ ही गए। दक्षिण भारतीय सिनेमा को लेकर हिंदी सिनेमा की ललक अभी तक वहां की फिल्मों का रीमेक बनाने तक ही रही है लेकिन साल 2022 कई नए चलन सिनेमा को दिखा रहा है। अब हिंदी सिनेमा के सितारे वहां की फिल्मों को लपक रहे हैं। फिल्म ‘गॉडफादर’ सलमान खान की पहली तेलुगू फिल्म है। चर्चा ये भी रही है कि सलमान खान ने चिरंजीवी के लिए एक तरह से ये दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे चिरंजीवी इस फिल्म में मुख्यमंत्री पद के लिए मचे घमासान का केंद्र बिंदु हैं। इस ‘एहसान’ का बदला चिरंजीवी के बेटे राम चरण जल्द ही सलमान की फिल्म ‘किसी का भाई, किसी की जान’ में एक खास भूमिका निभाकर अदा करते नजर आ सकते हैं।
मलयालम फिल्म ‘लुसिफर’ की रीमेक
फिल्म ‘गॉडफादर’ मलयालम सिनेमा की सबसे कामयाब फिल्मों में से एक गिनी जाने वाली फिल्म ‘लुसिफर’ की रीमेक है। ये वही फिल्म है जिसमें मोहनलाल जैसे दिग्गज कलाकार के सामने हिंदी सिनेमा के अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने अपना दमखम साबित किया था। तीन साल पहले रिलीज हुई इस फिल्म को हिंदी में बनाने की कोशिश नेटफ्लिक्स कर रहा है। ‘लुसिफर’ की कहानी वंशानुगत अधिकारों की हिस्सेदारी को लेकर चली जा रही शतरंज की बिसातों में एक बाहरी के प्रवेश की कहानी कहती है। यहां भी फिल्म की कहानी का मुख्य आधार यही है। मुख्यमंत्री के निधन के बाद उनके घर वालों के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने को लेकर छिड़ी जंग में इस बार ब्रह्मा का प्रवेश होता है। कहानी वही है। बस इसको पेश करने का तरीका इसके निर्देशक मोहन राजा ने आखिर में बदल दिया है, सलमान खान का सहारा लेकर।
दूसरे हिस्से में ढीली पड़ी कहानी
फिल्म ‘गॉडफादर’ में इसके निर्देशक मोहन राजा की पकड़ कहानी पर अच्छे से बनती दिखती है और इंटरवल तक वह फिल्म को एक सुपरहिट फिल्म की तरफ ले जाते भी दिखते हैं लेकिन इंटरवल के बाद मामला पटरी से उतर जाता है और वह इसलिए क्योंकि मलयालम सिनेमा ठहराव का सिनेमा है जबकि तेलुगू और हिंदी सिनेमा रफ्तार का। मोहन राजा के पास एक रीमेक में प्रयोग करने की जितनी भी गुंजाइश रही, वह सब उन्होंने की लेकिन ठीक क्लाइमेक्स से पहले का गाना फिल्म को ढीला कर देता है। सलमान खान की एंट्री भी उनकी हिंदी फिल्मों जैसी ही है और उनकी अदाकारी भी। एक तरह से सलमान खान के फिल्म होने न होने का खास असर दिखता नहीं है।
0 Comments