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दुनिया का सबसे बड़ा चाकू कहां है ? यहां जाने इसकी कीमत और खासियत

दुनिया का सबसे बड़ा चाकू कहाँ है? यहां जाने इसकी कीमत और खासियत


यूपी: लैपटॉप में है दुनिया का सबसे बड़ा चाकू, 52 लाख रुपए है कीमत, यहां जानें जगहें


यूपी के डिपार्टमेंट में दुनिया का सबसे बड़ा चाकू है, कीमत 52 लाख रुपये है। ये चाकू जल्द ही गिनीज बुक में भी शामिल हो सकता है। इस प्राकृतिक जंगल में ये भी है कि कभी भी जंग नहीं लग सकती और ना ही ये धूप खराब होगी।

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रामपुर की शान बढ़ाएगा दुनिया का सबसे बड़ा चाकू, जानें क्या है कीमत और खासियत


रामपुरी चाकू :पोर्टल को आकर्षण का केंद्र बनाने और क्लस्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लैपटॉप में दुनिया का सबसे बड़ा चाकू स्थापित किया गया है। वहीं, डॉक्यूमेंट्री को तैयार करने में 52.52 लाख से ज्यादा की लागत आई है।

आप भी दुनिया के सबसे बड़े चाकू को देखना चाहते हैं तो आपको प्रोडक्ट आना होगा।


Rampuri Chaku : उत्तर प्रदेश का रामपुर जिला चाकू के लिए विश्व प्रसिद्ध है। बॉलीवुड फिल्मों में भी आपने रामपुरी चाकू का नाम तो कई बार सुना ही होगा। तो वहीं, अब रामपुरी चाकू को एक नई पहचान मिल गई है। जी हां... रामपुर में दुनिया का सबसे बड़ा चाकू है। अगर आप भी इसे देखना चाहते हैं तो आपको रामपुर आना होगा। क्योंकि, विश्व के सबसे बड़े चाकू को नैनीताल मार्ग के चौराहे पर स्थापित किया गया है। इतना ही नहीं, इस चौराहे को अब चाकू चौराहे का नाम भी दिया गया है।

इस चाकू को जल्द ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में "सबसे बड़े चाकू" का सर्टिफिकेट मिल जाएगा।

इस चाकू को जल्द ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में 'सबसे बड़े चाकू' का सर्टिफिकेट मिल जाएगा। जानकारी के मुताबिक, यह चाकू 6.10 मीटर लंबा, वजह-आठ क्विंटल और पीतल व स्टील से बनाया गया है। इस चाकू की खासियत ये भी है कि इसमें कभी जंग नहीं लग सकता और ना ही ये धूप में खराब होगा। तो वहीं, इस चाकू की कीमत 52 लाख रुपए है और जिसके लिए चाकू चौराह बनाया गया है। आपको बता दें, रामपुरी चाकू उद्योग का इतिहास यूं तो रामपुर रियासत के जामने से है।

बॉलीवुड फिल्मों में भी आपने रामपुरी चाकू का नाम कई बार सुना होगा। 

बॉलीवुड फिल्मों में भी आपने रामपुरी चाकू का नाम तो कई बार सुना ही होगा। एक वक्त था जब रामपुर के चाकू बाजार में सैकड़ो दुकानें हुआ करती थी, जहां से देश ही नहीं विदेशों में भी रामपुर चाकू की आपूर्ति होती थी। रामपुरी चाकू की खासियत ये है कि ये बटन से खुलते और बंद होते हैं और इन पर सुंदर नक्काशी होती है। इस वजय से पुराने दौर की हिंदी फिल्मों में विलेन के हाथ में अक्सर रामपुरी चाकू दिखाई देते थे। बाद में इस चाकू रखने और इस्तेमाल पर रोक लगने के कारण इसका कारोबार कम होता गया। साथ ही, सरकार की उपेक्षा का शिकार से रामपुरी चाकू का उद्योग विलुप्ति की कगार पर आ खड़ा हुआ।

एक बार फिर रामपुरी चाकू को उसकी पहचान वापस दिलाने की कवायद शुरू हो गई है।


अब एक बार फिर रामपुरी चाकू को उसकी पहचान वापस दिलाने की कवाद शुरू हो गई है। सोमवार 20 मार्च 2023 को सांसद घनश्याम सिंह लोधी, शहर विधायक आकाश सक्सेना, मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह और जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार मांदड़ ने दुनिया के सबसे बड़े चाकू का लोकार्पण किया। रामपुर शहर विधायक आकाश सक्सेना ने कहा कि रामपुरी चाकू को कभी डर के रूप में जाना जाता था, परंतु सरकार ने इस डर के प्रतीक चाकू को शिल्प का रूप देने का कार्य किया है। कहा कि शासन स्तर से चाकू उद्योग के लिए लाइसेंस से छूट और जीएसटी के दायरे से बाहर रखने के लिए भी विचार किया जा रहा है।

विधायक आकाश सक्सेना ने कहा कि रामपुर को नए रामपुर के रूप में आगे बढ़ाना है और इसके लिए सभी का सहयोग बहुत जरूरी है। वहीं, मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े चाकू को तैयार कराने की बुनियाद काफी पहले रखी गई थी। यह चाकू रामपुर की सिर्फ पहचान ही नहीं, बल्कि यहां के शिल्प और आजीविका की पहचान भी है। रामपुर में चाकू का हुनर विश्व के प्राचीन चाकू हुनर में से एक है। इस चाकू की स्थापना का उद्देश्य जिले में चाकू उद्योग को प्रोत्साहित करना है तथा इससे जुड़े लोगों को आजीविका के संसाधनों से जोड़ते हुए रोजगार के अवसरों को बढ़ाने पर जोर देना है।

मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने रामपुर के चाकू कारीगरों को किया सम्मानित


52.52 लाख रूपये से बनकर तैयार हुआ चाकू चौराहा
चाकू चौराहे को तैयार करने में 52.52 लाख रूपये से अधिक की लागत आई है। चाकू चौराहे पर 16 लाख रुपए से हाई मास्ट लाइट और सौंदर्यीकरण के कार्य कराए गए हैं। कार्यक्रम के दौरान मंडलायुक्त ने रामपुर में चाकू कारीगरों को शॉल भेंट करके सम्मानित किया।

रामपुर के नवाब के कारण मिली चाकू को पहचान


इसे बाजार की शक्ल देने वालों में अहम नाम था रामपुर के नौवें नवाब यानी नवाब हामिद अली खां का। एक बार उन्होंने जर्मनी से एक चाकू मंगवाया। नवाब को यह काफी रोचक लगा क्योंकि यह बटन दबाते ही खुल जाता था। नवाब ने अपनी रियासत के बेहद प्रसिद्ध कारीगर को बुलाकर उससे हूबहू वैसा ही चाकू बनाने को कहा। कारीगर ने जो चाकू बनाया उसपर तो जर्मनी का वह चाकू भी फीका दिखने लगा। बस इसके बाद रामपुर में चाकू बनाना भी एक हुनर हो गया।

कारोबार बढ़ता गया। चाकू बनाने वाले अपना हुनर अगली पीढ़ी में बांटते गए और बेचने वालों ने भी इसे पुश्तैनी कारोबार बना लिया। रामपुरी चाकू के ब्लेड की लंबाई 9 से 12 इंच तक होती थी। पॉलिश, अनपॉलिश्ड, लोहे या स्टील के हत्थे, पीतल के बट, नक्काशीदार ब्लेड और हैंडल वाले सहित कई प्रकार के चाकू रामपुर में बनते रहे। खास बात यह है कि रामपुरी चाकू भले ही बटन से खुलता हो। लेकिन इसमें स्प्रिंग का इस्तेमाल नहीं होता है। यह पूरी तरह कमानी पर काम करता है।

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