बच्चों को आत्मनिर्भर कैसे बनाएं? Bacchon ko dependent kaise banaen?
जब कोई बच्चा अपने हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाता है, तो वह समाज में अपनी खुद की सही पहचान नहीं बन पाता। दूसरों पर पूरी तरह निर्भरता एक शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को विकलांग बना देती है। इसलिए, जरूरी है कि आत्मनिर्भरता के गुण बचपन से ही सिखाए जाएं जिससे बच्चे आगे चलकर अपना काम स्वयं कर सकें। Hindicity.in के इस लेख में हम बच्चों को कैसे आत्मनिर्भर बनाएं इसके लिए कुछ सटीक तरीकों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। हमारे साथ जानिए आत्मनिर्भरता का सही अर्थ और बच्चों में आत्मनिर्भरता क्यों जरूर है?
आत्मनिर्भरता का क्या अर्थ है?
आत्मनिर्भरता का अर्थ होता है, अपने किसी भी काम के लिए दूसरों पर निर्भर ना होना। एक आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने काम के लिए स्वयं के परिश्रम को महत्व देता है और बेहिचक अपने विचारों को प्रकट करता है। साथ ही वह अपने फैसले खुद ही लेना पसंद करता है। देखा जाए तो आत्मनिर्भरता व्यक्ति को जीवन में सही से चलना सिखाती है।
बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना क्यों जरूरी है?
इस आधुनिक समय में दुनिया बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है, ऐसे में प्रत्येक बच्चे के लिए आत्मनिर्भर होना जरूरी है बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए उसे आत्मनिर्भरता के गुण सीखना बहुत जरूरी है इससे बच्चे अपने काम स्वयं कर पाएंगे और उनकी दूसरों पर निर्भरता खत्म होगी। साथ ही वे अपने विचार स्कूल, घर और समाज में सही से व्यक्त कर पाएंगे। साथ ही आत्मनिर्भरता बच्चों में अपने फैसले खुद लेने के गुण को विकसित करती है। आईए जानते हैं इस लेख के माध्यम से किस प्रकार बच्चों में आत्मनिर्भरता को कैसे विकसित किया जा सकता है?
बच्चों को आत्मनिर्भर कैसे बनाएं? आत्मनिर्भरता का क्या अर्थ है? बच्चों में आत्मनिर्भरता होना क्यों जरूरी है?
अब हम उन घरेलू तरीकों के बारे में जान लेते हैं, जिनकी मदद से बच्चे आत्मनिर्भर बन सकते हैं
1:-घर के छोटे-मोटे काम करना
बच्चे एक या दो साल की उम्र से ही आपके निर्देशों को समझने लगते हैं। ऐसे में उनसे छोटे-मोटे काम करवा कर उनके दिमाग और शरीर को अच्छी तरीके से डेवलप डेवलप किया जा सकता है जैसे कि खाने की प्लेट हटाना गिलास हटाकर किचन में रखना थोड़े-बड़े होने पर खुद से पानी लेने के लिए बोलना ऐसे छोटे काम करने से बच्चों को खुद से कम करने की आदत होती है और वह स्वयं पर डिपेंडेंट होना सीखते हैं।
2:-स्कूल के लिए रेडी होना
बच्चों को 5 या 6 वर्ष की उम्र आते-आते स्कूल के लिए खुद से तैयार होना को बोलें। मौज जूता पहनना, ड्रेस पहनना और कंघी करना यह सारे काम बच्चे खुद से करना सीख जाते हैं। इससे बच्चे आत्मनिर्भर बनते हैं।
3:-बच्चों के साथ खेलने दें
बच्चों को कॉलोनी, पार्क या स्कूल के बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताने दें इससे बच्चों में सोशल स्किल बढ़ती है। साथ ही वह समस्याओं को खुद से सुलझाने का प्रयास सीखते हैं।
4:-म्यूजिक सुना और डांस सीखना
बच्चे कुछ देर म्यूजिक सुनने धुन पर थिरकने की आदत डालें। इससे बच्चों का मूड फ्रेश होगा और वह बच्चों में नई चीजों को सीखने के लिए उत्सुकता विकसित होगी।
5:-बच्चों का रूटीन फिक्स करना
बच्चों के सोने, जागने, नहाने, खाने, पढ़ने और हर चीज का टाइम फिक्स करें। इससे बच्चे अपने कामों को लेकर जागरूक होंगे आप पर डिपेंड नहीं बनेंगे। यह काम बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करता है।
6:-बच्चों को कुछ देर एकांत में रहने दें
बच्चे अगर एकांत मैं बैठे हैं तो उसे सोचने दें। इससे बच्चों में कुछ नया और क्रिएटिव करने का ख्याल आएगा। और वे अपने सिंपल खिलौने को नए तरीके से खेलने का दिमाग लगाएंगे। यह काम बच्चों की दिमागी स्किल को डेवलप करता है।
7:-हमें भरोसा है
अगर माता-पिता समय-समय पर बच्चों को यह कहते हैं कि हमें तुम पर भरोसा है, तो इससे बच्चे को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल सकती है। इससे बच्चे अपने काम को पूरे आत्मविश्वास के साथ करेंगे।
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